हे गुरुवर तेरे चरणों में , हम वंदन करने आये हैं । हम वंदन करने आये हैं , हम आरती करने आये हैं।।
तुम काम क्रोध मद लोभ छोड़ , निज आतम को पहिचाना है । घर कुटुम्ब छोड़कर निकल पड़े, धर लिया दिगम्बर बाना है।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये हैं । हम वंदन करने आये हैं , हम आरती करने आये हैं ।।1।।
छोटी-सी आयु में स्वामी, विषयों से मन अकुलाया है । तप, संयम, शील साधना में, दृढ़ अपने मन को पाया है।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये हैं । हम वंदन करने आये हैं, हम आरती करने आये हैं ।।2।।
कितना भीषण संताप पड़े , हो क्षुधा तृषा की बाधाएँ । स्थिर मन से सब सहते हो , बाधाएँ कितनी आ जाये ।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये हैं । हम वंदन करने आये हैं , हम आरती करने आये हैं ।।3।।
नहीं ब्याह किया, घर बार तजा, समता के दीप जलाये हैं । हे महाव्रती संयमधारी , चरणों में शीश झुकाये हैं।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये हैं । हम वंदन करने आये हैं , हम आरती करने आये हैं ।।4।।
तुम जैनधर्म के सूरज हो, तप त्याग की अद्भुत मूरत हो । है धन्य धन्य महिमा तेरी , तम हरने वाली सूरत हो।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में, हम वंदन करने आये हैं । हम वंदन करने आये हैं , हम आरती करने आये हैं ।।5।।
जय जय मुनिवर भक्त पुकारें, आरती मंगल गायें ।
आरती करके समत्व सागर जी की, जन्म सफल हो जाये ।।
मुनिवर के चरणों में नमन, शत शत वंदन अमिनंदन ।
नगर जबलपुर जन्म लिया है, धन्य अनिता माता ।
डॉ. अभय जी पिता आपके, छोड़ा जग से नाता ।।
देश विदश में नौकरी करके निज घर लौट के आये ।
आरती करके समत्व सागर जी की, जन्म सफल हो जाये ।। (मुनिवर के...)
सूरज सा है तेज आपका, नाम है अकुर पाया ।
माता के संस्कार थे मन में, अत: जगत टुकराया ।।
जग की नश्वरता को लखकर, मन वैराग्य समाये ।
आरती करके समत्व सागर जी की, जन्म सफल हो जाये ।। (मुनिवर के...)
भीलवाड़ा वस्त्रों की नगरी, हुए नगन वैरागी ।
श्री विशुद्ध सागर गुरूवर ने, दीक्षा दी अति प्यारी ।।
समता धारण करके मुनिवर, अतः समत्व कहाये ।
आरती करके समत्व सागर जी की, जन्म सफल हो जाये ।। (मुनिवर के...)
आरती-आरती-आरती-रे गुरु तेरी उतारें, हम आरती
विशुद सागर जी, गुरुवर हमा -2, गुरुवर हमारे हो प्राणों प्यारे -2
मुक्ति मारग के सारथी रे सारथी रे गुरु तेरी...
शरण में जो-जो, तेरी आया -2, निज सम बाना, उसको पहनाया -2
दुनियाँ उसी की जय बोलती रे -2 गुरु तेरी...
रामनारायण जी पिता तुम्हारे -2, रत्ती माँ के, नयनों के तारे -2
दुनियॉ तुही को निहारती रे-2गुरु तेरी...
ज्ञान अभीक्षण, पाया है तुमने -2, दिव्य ध्वनि सम, देशना सुनने -2
इकटक सभा, सब निहारती रे -2 गुरु तेरी...
हमको भी अपनी शरण मेंले लो - 2, अपने जैसा, हमको बनालो -2
आवाज मन की पुकारती रे -2 गुरू तेरी...
विश्वास है तुम ही, तारोगे मुझको-2, तारोगे मुझको, तारोगे मुझको, -2
शरणा तुम्हारी, ही तारती रे -2 गुरु तेरी...
'शील' को गुरुवर , कभी न भुलाना-2, तुम न भुलाना, गुरु तुम न भुलाना -2
उपेक्षा तेरी, मारती रे -2 गुरु तेरी...
समत्व सागर की, गुणआगर की,
शुभ मंगल दीप सजाय के आज उतारूँ आरतियाँ – २
अभय कुमार श्री अनीता देवी के गर्भ विषैं गुरु आये- २
नगर जबलपुर जन्म लिया है, सब जन मंगल गाये -२
गुरूजी सब जन मंगल गाये, न रागी की न द्वेषी की,
शुभ मंगल दीप सजाय के, आज उतारूँ आरतियाँ…..
गुरुवर पाँच महाव्रत धरी, आतम ब्रह्म विहारी – २
खड्गधार शिवपथ पर चलकर, शिथिलाचार निवारी – २
गुरूजी शिथिलाचार निवारी
गृहत्यागी की, वैरागी की, ले दीप सुमन का थाल रे,
आज उतारूँ आरतियाँ……
गुरुवार आज नयन से लखकर, आलौकिक सुख पाया -२
भक्तिभाव से आरती करके, फूला नहीं समाया -२
ऐसे मुनिवर को, ऐसे ऋषिवर को, हो वंदन बारम्बार हो,
आज उतारूँ आरतियाँ…….
ॐ जय जय गुरु देवा, स्वामी जय जय गुरु देवा
आरती करत तुम्हारी, आरती करत तुम्हारी, मिले मुक्ति मेवा...ॐ जय जय...
पूज्य समत्व सागर गुरुवर जी, आप बड़े ज्ञानी, स्वामी आप बड़े ज्ञानी
श्रमण शील सागर भजनों में कहते जिनवाणी...ॐ जय जय...
धन्य-धन्य वे मात पिता जी, परम भाग्यशाली, स्वामी परम भाग्यशाली
ऐसे सुतो को जन्मा, जो जन हितकारी...ॐ जय जय...
नग्न दिगंबर भेष धार द्वय, बन गये अविकारी, स्वामी बन गये अविकारी
पिछी कमंडल सहित आपकी, मूरत अति प्यारी...ॐ जय जय...
निशदिन तेरी करे आरती, सब मिल नर नारी, स्वामी सब मिल नर नारी
शान्ति सुधारस पीने, प्यास लगी भारी...ॐ जय जय...
जो विशुद्ध के नंदन है द्वय, बने आत्मज्ञानी, स्वामी बने आत्मज्ञानी
मोक्ष महा फल पाने, हम सब सिरनामी...ॐ जय जय...