Muni Samatva Sagar Ji
Shramanratn Muni Shri 108 Samatva Sagar Ji
Vishudhratn Muni Shri Samatva Sagar Ji

जीवन परिचय

श्रमण मुनि श्री 108 समत्व सागर जी महाराज

पूर्व नाम: बा. ब्र. अंकुर जी जैन
पिता श्री: डॉ. श्री अभय कुमार जी जैन, विदिशा
माता श्री: श्रीमती अनिताजी जैन
जन्म स्थान: जबलपुर(म. प्र.)
जन्म दिनांक: 31 मई 1984
लौकिक शिक्षा: बी. ई. , एम. ई.(BITS-Pilani)
ब्रह्मचर्य व्रत: जनवरी, 2013, विदिशा (म. प्र.)
मुनि दीक्षा: 29 अगस्त 2015
दीक्षा स्थल: भीलवाड़ा (राज.)
दीक्षा गुरु: अध्यात्म सरोवर के राजहंस प्रथम पट्टाचार्य अध्यात्मचक्रवर्ती चर्याशिरोमणि गणाचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज
मातृभाषा: हिंदी
अन्य भाषा: अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत
उपाधि: युवा श्रुत संवाहक , वैज्ञानिक संत , Key Of Youth

आपका जन्म 31 मई 1984 को जबलपुर में हुआ , प्रारंभिक शिक्षा छोटे छोटे ग्राम में हुई, फिर SATI विदिशा से electronics and telecommunication में इंजीनियर की डिग्री ली तत्पश्चात ही देश के सर्वोत्तम इंजी. कॉलेज में से एक BITS-Pilani से communication System में M.E. की डिग्री प्राप्त की ।

इसके पश्चात आपकी जॉब मोबाइल की सबसे बड़ी कंपनी Google acquired Motorola Mobility बैंगलोर में लग गई। कुछ दिनों पश्चात ही वर्क कल्चर में श्रेष्ठतम एवं कम्युनिकेशन के श्रेष्ठतम कंपनी में से एक Qualcomm हैदराबाद में सीनियर सॉफ्वेयर के पद पर लगभग 1.5 वर्ष तक कार्यरत रहे। इसी बीच कंपनी के मध्यान से America के California राज्य के San Diego शहर में कुछ महीनों के लिए आपका जाना हुआ ।

इंडियन पैकेज लगभग 15 लाख रुपए वार्षिक के साथ साथ अमेरिका में कंपनी के द्वारा प्राप्त अनेक सुविधाओं के साथ साथ Camero, Mustang जैसी बड़ी बड़ी गाड़ियां Hollywood (L.A.), Disneyland, Universal Studio Tracking , Kayaking आदि अनेक युवाओं के ड्रीम्स स्पोर्ट्स कोर्स के साथ समय व्यतीत होता गया इन सब के होने पर भी गुरु आशीष एवं माता पिता के संस्कार के अनुरूप आप अमेरिका में शनिवार रविवार 200km मंदिर अवश्य जाया करते।

2013

विदिशा पंचकल्याणक

Muni Shri Samatva Sagar Brahmchari Awastha

संघ प्रवेश

17 जून 2013 का तप कल्याणक
का वो दिन प्यारा
पंचम काल के बाहुबली(अंकुर जी) ने
राज त्याग ब्रह्मचर्य व्रत अपनाया

Bal Brahmchari Ankur Bhaiya
Samatva Sagar Ji as Ankur Bhaiya Vidisha Brahmchari Ankur Bhaiya Abhishek Vidisha

मुनि श्री समत्व सागर जी की वैराग्य की

अनोखी कहानी

पिता डॉ अभय कुमार जी,
माँ अनीता के आंखों के तारे।
आकांक्षा और अंकुर दो बच्चे प्यारे,
2013 में विदिशा नगरी में पंचकल्याणक आया।
माँ ने मरुदेवी पिता ने नाभिराय और
अंकुर ने बाहुबली का पद अपनाया।
तप कल्याणक का वो दिन प्यारा,
आदिकुमार ने वैराग्य धारा।
पंचमकाल के बाहुबली ने राज त्याग,
कर ब्रह्मचारी व्रत अपनाया।

Pratham Keshlochan Muni Shri Samatva Sagar Ji
Haldi Of Ankur Bhaiya aka Muni Shri Samatva Sagar Ji Mangal Vihar Ankur Bhaiya aka Muni Shri Samatva Sagar Ji Pratham Keshlochan Brahmchari Ankur Bhaiya aka Muni Shri Samatva Sagar Ji

गृहस्थ जीवन के क्षण

बचपन से ही आप प्रतिदिन मंदिर जाते एवं कभी भी लहसुन प्याज रात्रि भोजन नहीं करते थे , यह क्रम BITS Pilani एवं America में जारी रहा, बैंगलोर में स्वाध्याय का क्रम बना रहने से America की चमक दमक Luxury Life आपको रास नहीं आई।

तस्वीरें देखकर विश्वास नहीं होता कि कैसे कोई इस कठिन मार्ग पर चलने का होंसला रखता है

अक्सर लोग ये कहते है कि, जो लोग सांसारिक जीवन में मग्न हो जाते है वो कभी भी मोक्ष मार्ग पर नहीं चल सकते, इसी बात को गलत साबित करने के लिए एक उदाहरण बन कर आए "श्रमण मुनि श्री समत्व सागर जी महाराज", जिन्होंने अपनी Luxury Life, America जैसे देश की चमक दमक, लाखों का पैकेज, लहरों पर तैरना, और स्केटिंग के साथ ही पहाड़ों पर चढ़ने जैसे शौंक पूरे किए, बड़ी–बड़ी गाड़ियों को चलाया, Sky-Diving , Under Water और ना जाने कितने अलग अलग एडवेंचर किए हैं ।

अंकुर से बने समत्व सागर

भीलवाड़ा, राजस्थान

आपकी लगन, समर्पण और आध्यात्मिक रुचि को देख 29 अगस्त 2015 को भीलवाड़ा , राजस्थान में 6 अन्य ब्रह्मचारी भाइयों के साथ आपकी मुनि दीक्षा आचार्य भगवन विशुद्ध सागर जी महाराज के कर कमलों एवं हजारो श्रावकों की उपस्थिति में सानंद सम्पन्न हुई।

Muni Shri Samatva Sagar Ji  Diksha

जिनके आगे यश वैभव सब नतमस्तक हो आते थे,
देश-विदेशी सारे सुख ही सहज प्राप्त हो जाते थे ।
जिन के वैरागी मानस को मोह-पाश ना बांध सका,
विलसित जीवन का आडंबर त्याग भाव ना लांघ सका ।
वें अंकुर अब विशुद्ध रश्मि में "समत्व-वृक्ष" बन निखर रहे हैं,
जगत पूज्य निर्ग्रन्थ दिगंबर साधु बनकर विचर रहे हैं ।

उपसंघ का निर्माण

चातुर्मास: टीकमगढ़(म.प्र.), सहारनपुर(उ.प्र.), जयपुर(राज.)

आपने हमेशा ही गुरु आज्ञा को सर्व प्रथम माना है, चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी की आज्ञा से आपका प्रथम चातुर्मास 2022 में टीकमगढ़(म.प्र.) में हुआ , 2023 में सहारनपुर (उ.प्र.) में और 2024 में जयपुर(राज.) में हुआ । आपने अपने ज्ञान के प्रकाश से चारो तरफ जैन धर्म की प्रभावना की और भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाया ।

First Chaturmas of Muni Shri Samatva Sagar Ji, Tikamgarh Second Chaturmas of Muni Shri Samatva Sagar Ji, Saharanpur Third Chaturmas of Muni Shri Samatva Sagar Ji, Jaipur
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इस बीच युवाओं के लिए एक विशेष सेशन का प्रारंभ प्रति रविवार "Wonderuful Jainism" के नाम से की जो युवाओं की विचार धारा को तर्क के माध्यम से पूर्ण परिवर्तित करने में सफलता रही । धर्म एवं संस्कार नैतिक मूल्यों से दूर जाने वाली युवा पीढ़ी इन्हें सुनकर मानों पुनः अपने कुल, धर्म संस्कृति के गौरव पर बहुमान करने में अग्रसर आती दिखी।

Muni Shri Samatva Sagar Ji Sahitya

मुनि श्री द्वारा रचित साहित्य

मुनि श्री द्वारा रचित कृतियाँ

  • जिन अभिषेक पाठ (हिंदी अनुवाद)
  • मुनि श्री द्वारा रचित भजन एवं स्तोत्र

  • जिन शासन के नभ में अद्भुत
  • सर्व सिद्धि स्तोत्र
  • निर्ग्रन्थ स्तोत्र
  • अध्यात्म विंशति
  • जिनलिंगाष्टक
  • शुद्धात्म तत्व चिंतन
  • तीर्थंकर स्तवन
  • तीर्थेश स्तुति
  • भरत भगवान भजन
  • अष्टम तीर्थेश स्तुति
  • आगम की बात बतई दो